संपादक,सद्भावना दर्पण(भारतीय एवं विश्व साहित्य की अनुवाद-पत्रिका)जी-31, नया पंचशील नगर, रायपुर-492001 / सदस्य-साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, प्रांतीय अध्यक्ष- छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, संपादक-बालहित / ३ उपन्यास- मिठलबरा की आत्मकथा, माफिया, पालीवुड की अप्सरा / 8 व्यंग्य-संग्रह- ट्यूशन शरणम गच्छामि, ईमानदारों की तलाश, भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण, मंत्री को जुकाम, नेताजी बाथरूम में, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाये, मूर्ति की एडवांस बुकिंग एवं हिट होने के फार्मूले/ २ ग़ज़ल संग्रह- आंखों का मधुमास, यादों में रहता है कोई सहित 31 पुस्तकें प्रकाशित //गिरीश पंकज की व्यंग्य रचनाओ पर कर्णाटक एवं पंजाब में शोधकार्य जारी // अनुरोध- पाठक किसी भी रचना का कही भी उपयोग कर सकते है, लेकिन ध्यान रहे की कॉपीराईट एक्ट के अनुसार रचना के साथ रचनाकार के नाम का उल्लेख अनिवार्य है. आवश्यक ही हो तो लेखक से girishpankaj1@gmail.com याफिर 094252 12720 पर सम्पर्क करके अनुमति ली जा सकती है।
मेरा स्तम्भ
kya aap mante hai ki vyagya ek sahityik vidha hai?
5 Comments:
अच्छा कटाक्ष है। बधाई!
आपके व्यंग हमेशा चुटीले होते हैं, यह भी ग़ज़ब का है।
ssaarthak aur sateek , bebaak aur bedhadak.........
... aainaa dikhaatee abhivyakti ... behatreen bhaav !!!
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