बुधवार, 25 मई 2011

क्योंकि हम ढीठ जो हैं



मई २०११ अंक   

बके मुख पर है कालिख किसको कौन लजाये रे!’ लेकिन हम सबके साथ-साथ अपने को भी लजा रहे हैं, फिर भी हमें लाज नहीं आती। हम पूरी तरह निर्लज्ज हो चुके हैं। 
जब से मैंने होश संभाला; तब से ही भ्रष्टाचार के रोने-गाने की आवाज मेरे कानो में घुलती रही है। संभवतः आपके साथ भी ऐसा ही होता हो।  आपने कभी इस पर विचार किया है कि ऐसा क्यों होता है? शायद इसलिए कि हमारा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सिस्टम पटरी पर ठीक से फीट नहीं किया गया है। जिस दिन इसे फीट कर दिया जायेगा, उसी दिन सब ठीक हो जायेगा। लेकिन इसे ठीक करेगा कौन? क्योंकि सब के मुख पर तो कालिख पुता हुआ है, कौन आयेगा सामने इसे ठीक करने को? आप को विश्वास नहीं होता तो आप सौ व्यक्ति को एक जगह बुलाकर भ्रष्टाचार पर गोष्ठी करवा लीजिए, सौ के सौ व्यक्ति तरह से तरह से भ्रष्टाचार पर आख्यान-व्याख्यान दे देता हुआ चला जायेगा, लेकिन एक भी व्यक्ति उसमें से ऐसा नहीं सामने आयेगा, जो अपने को पहला भ्रष्ट व्यक्ति साबित करे। तो आखिर भ्रष्टाचार करता कौन है? इस प्रश्न का उत्तर कौन देगा? इसका उत्तर कैसे मिलेगा? लगता है सृष्टि की समाप्ति तक इस यक्ष प्रश्न का उत्तर हम नहीं ढूंढ़ पायेंगे। क्योंकि हम ढीठ जो हैं। 

गुरुवार, 19 मई 2011

हवा के साथ

जब से सूरज निकला
जब तक नहीं डूबा
दोड़ता रहता है पैर
बाँसों पर, तनी हुई रस्सियों पर
तारों पर। 
थम जाती है साँस
खिंचती आती आँत
धीरे-धीरे 
पीठ के आस-पास
बंध् जाती है दृष्टि
एक पूरी उम्र
खिंच-खिंच कर
न्यूनतम हो जाती है जैसे! 

- डॉ० शिवशंकर मिश्र  

छत्तीसगढ़ की डायरी

रिश्वत दो वरना फँसा दूँगा....
छत्तीसगढ़ के पुलिस वाले अब शातिर लोगों को गिरफ्तार करने के बजाय खुद गिरफ्तार हो रहे हैं। फिछले एक महीने में दो थानेदार पकड़े गए। ये दोनों महानुभाव लोगों को चमका कर वसूली करने की कोशिश कर रहे थे। अभी हाल ही में पामगढ़ नामक कस्बे में एक थानेदार ने एक व्यक्ति को उसकी बहू की हत्या के आरोप में फँसाने की धमकी देते हुए पचास हजार रुपए माँगे। उस व्यक्ति की बहू ने जहर का कर जान दे दी थी। इतना मुद्दा वसूली के लिए काफी होता है। थानेदार साहब को मौका मिल गया। उन्होंने ससुर से कहा, तुमको बहू की हत्या के आरोप में अंदर कर दूँगा। मामला सुलटाना है तो पचास हजार रुपए देना होगा। ससुर ने फौरन तीन हजार रुपए दे दिए और कहा कि बाकी राशि बाद में दूँगा। उसके बाद ससुर ने हिम्मत कर के 'एंटी करप्शन ब्यूरो' से बात की । ब्यूरो ने सहयोग किया और थानेदार को घेरने की योजना बनाई। थानेदार के पास दस हजार रुपए के साथ ससुर को भेज गिया।और रिश्वतखोर थानेदजार को रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। थानेदार की जमानत भी नहीं हुई और उसे जेल भेज दिया गया। इस घटना सेदूसरे थानेदार या पुलिस वाले सबक लेंगे, ऐसी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
धर्मंप्रचारक पिट गया.......
धर्मप्रचार करना गलत नहीं है। हर धर्म वाला अपने धर्म की विशेषताएँ बता कर लोगों को अपनी ओर खींचने का काम कर सकता है। दिक्कत वहाँ शुरू होती है, जब कोई अपने धर्म का प्रचार करे और दूसरे धर्म की निंदा शुरू कर दे। पिछले दिनों चाँपा नामक कस्बे में एक धर्मप्रचारक प्राचार्य इसी चक्कर में शिव सैनिकों के हाथों पिट गया। एक कालेज में प्राचार्य के पद पर कार्यरत ये सज्जन एक धर्म विशेष के गुरू के रूप में जाने जाते हैं। चांपा में एक व्यक्ति की तबीयत खराब थी। ये प्राचार्य महोदय उसके घर गए और वहाँ बहुत से लोगोंकोजमा करके धर्मोपदेश देने लगे। यहाँ तक तो सब ठीक था, अचानक उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अभद्र शब्दों को उपयोग शुरू कर दिया। जब इस बात की जानकारी शिव सैनिकों को लगी तो उन्होंने प्राचार्य महोदय की जम कर ठुकाई की और उन्हें थाने पहुँचा दिया।
नक्सलियों के नाम पर चमकाने की कोशिश
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों कोइतना आतंक फैल चुका है कि छोटे-मोटे गुंडे अब उनकी आड़ में कमाई करने की कोशिशें करने लगे हैं। ताजा मामला रायपुर का है। शिक्षाकर्मी के पद पर कार्यरत चंद्रकात साहू नामक युवक ने तीन लोगोंको अलग-अलग एसएमएस भेजे और सबसे पैसों की मांग की। एक सज्जन को एसएमएस किया कि लाल सलाम, तीन दिन के भीतर दो करोड़ रुपये पहुँचा दो वरना पूरे परिवार को उड़ा दिया जाएगा। चंद्रकात सनकी भी था। उसने एक दूसरे सज्जन को एसएमएस किया कि हम लादेन की मौत का बदला लेंगे। पुलिस वालों ने पता करने की कोशिश शुरू कर दी कि ये कौन है जो नक्सली या आतंकवादी बन कर वसूली का काम कर रहा है। आखिर पता चल ही गया। एसएमएस करने वाला एक शिक्षाकर्मी निकला। इस कुकर्मी के  पास से छह सिम कार्ड भी बरामद किए गए। अब यह नकली नक्सली  अपने खेल के कारण जेल में है ।
अफसरों का स्वर्ग छत्तीसगढ़
इसके पहले भी इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है मगर क्या करें, दुबारा करना पड़ रहा है। दो दिन पहले फिर एक एस. बाबू नामक करोड़पति दवा नियंत्रक पकड़ा गया। इसके पास से करोड़ों की बेनामी संपत्ति का पता चला है। ये महानुभाव केरल के हैं। इन्होंने छत्तीसगढ़ से अर्जित हराम की कमाई केरल भी भिजवा दी थी। ऐसे एक नहीं अनेक अफसर ऐसे हैं जोबाहरी राज्यों के हैं। वे यहाँ की नंबर दो की कमाई अपने गृह नगर भेज देते हैं। बाबू नामक दवा नियंत्रक की केरल में भी इफरात संपत्ति है। वन विभाग के एक अधिकारी डीडी संत के पास भी अनंत दौलत होने का पता चला है। उनके यहाँ भी छापा पड़ तो पता चला कि इनके भी अनेक बेनामी खाते हैं। बहुत से खाते में मोनालिसा के नाम से है। इसी नाम से ये वन अफसर खाते रहे हैं। इसके पहले भी अनेक अधिकारी पकड़ में आ चुके हैं, जो प्रदेश का नाम रौशन कर रहे हैं, कि छत्तीसगढ़ में अकूत दौलत है, लूट सके तो लूट।
टॉपर तीन साल बाद निकला मुन्नाभाई....
मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म को भला कौन भूल सकता है? फर्जी तरीके से परीक्षा दे कर पास होने वाले मुन्नाभाई कहे जाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में भी ऐसे मुन्नाभाइयों की कमी नहीं है। एक मुन्नाभाई तो सचमुच मेडिकल छात्र ही निकला। तीन साल एक छात्र ने पीएमटी की परीक्षा में टॉप किया था। अखबारों में उसकी तस्वीर छपी थी। उसने बड़ी-बड़ी बातें भी की थीं। पिछले दिनों पता चला कि वह फर्जी छात्र था। खेल करने वाले खेल कर जाते हैं और विभाग सोता रहता है। इस बार पीएमटी की परीक्षा ही रद्द करनी पड़ गई क्योंकि जूलाजी और कैमेस्ट्री के पर्चे इंटरनेट पर उपलब्ध थे। पेपर लीक न हों इसलिए छत्तीसगढ़ व्यावसायिक शिक्षा मंडल ने दक्षिण भारत की एक कंपनी को पेपर सेट करने का ठेका दे दिया था। मामला उजागर हुआ तो पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी गई। छत्तीसगढ़ में अधिकारियों मैं बेईमानी करने का जुनून-सा सवार है। पीएससी की परीक्षा में भी कुछ न कुछ अनियमितताएँ होती रहती हैं। हर बार परीक्षा होती है और किसी न किसी गड़बड़ी के कारण छात्र कोर्ट की शरण में चले जाते हैं।
फैज अहमद फैज की बेटी आई छत्तीसगढ़
सन् दो हजार ग्यारह अनके साहित्यकारों की जन्म शताब्दी वर्ष है। अज्ञेय, नागार्जुन केदारनाथ अग्रवाल, शमशरेबहादुर सिंह एवं गोपालसिंह नेपाली(हिंदी), फैज़ अहमद फैज़ एवं मजाज़  (उर्दू) तथा श्री श्री (तेलुगु)। पूरे देश में इन साहित्यकारों की जन्म शताब्दियाँ मनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ के प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान ने 14-15 मई को भिलाई में फैज और केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में बड़ा आयोजन किया। इसमें पाकिस्तान से भी लेखक-आलोचक भिलाई पधारे। सबसे बड़ी बात यह रही कि महान शायर फैंज की बेटी मुनीज़ा  हाशमी भी आई और अपने पिता से जुड़े रोचक संस्मरण सुनाए। फैज प्रगतिशील शायर ने अन्याय के खिलाफ लिखते थे इसलिए वे वर्षों तक जेल में भी रहे। मुनीज़ा  उन दिनों की याद करते हुए बीच-बीच में भावुक भी हुई। अनेक वक्ताओं ने फैज पर अपने विचार व्यक्त किए मगर पाकिस्तान से पधारे लोगों को सुनना एक अभूतपूर्व अनुभव रहा। ''हम मेहनत कश इसदुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे''....जैसी कालजयी कविता लिखने वाले फैज के बारे में सुन कर उपस्थित हिंदी समाज को एक बड़े शायर की शायरी और संघर्ष से परिचय हुआ और लोगों को समझ में आया कि बड़ा शायर बनने के लिए ''उँगलियों को  खूनेदिल में भी डुबोना'' पड़ता है।

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सुनिए गिरीश पंकज को