रविवार, 26 जून 2011

छत्तीसगढ़ की डायरी

सामंतीप्रवृत्तिवाले अफसरों का क्या किया जाए..?

छत्तीसगढ़ में सरकार निरंतर बेहतरी के काम करने की काशिशें कर रही है, मगर यहाँ के कुछ अफसर अपनी हरकतों से सरकार की छवि खराब करने की कोशिशों में लगे हैं। हर दूसरा अफसर करोड़ों की कमाई कर रहा है। जिसके यहाँ भी छापे मारो, वह अरबपति निकलता है। यह तो अलग मुद्दा है, इससे भी महत्वपूर्ण है अफसरों का जनता से व्यवहार। बहुत से अफसर जनप्रतिनिधयों को कुछ समझते ही नहीं, उन्हें लगता है वे ही इस व्यवस्था के भाग्यविधाता है। इसलिए उनकी हरकतें भी एकदम सामंती रहती है। हैं तो जनता के नौकर लेकिन आचरण ऐसा करेंगे, कि वे शाह है या राजा-महाराजा है। पिछले दिनों बस्तर में ऐसा ही वाकया देखने को मिला, जब दंतेवाड़ा के कलेक्टर ने दो चपरासियों को संडास में बंद करवा दिया। चपरासियों का कसूर यही था, कि वे अपनी ड्यूटी में विलंब से पहुँचे थे, इस कारण दोपहर के भोजन में विलंब हुआ था। कलेक्टर का गुस्सा जायज था, मगर उन्होंने जो हरकत की, वह यही दर्शाता है कि उन्होंने अपने आप को राजा ही समझ लिया था। आम लोगों का भी यही कहना है  कि ऐसी घटनाएँ तो सामंती दौर में हुआ करता था। लेकिन अब लोकतंत्र है। किसी को भी दंडित करने के भी नियम-कायदे हैं। ऐसी मनमानी नहीं चल सकती कि किसी को सजा देने के लिए संडास में ही बंद कर दिया जाए।
शराबबंदी की दिशा में बढ़ता छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ को 'धान का कटोरा' कहा जाता है लेकिन हालत यह हो गई है कि इसे कुछ लोग 'दारू की बोतल' भी कहने लगे हैं। अनेक गाँव ऐसे हैं, जहाँ स्कूल नजर नहीं आते मगर, दारू की दुकान जरूर मिल जाती है। दो रुपए किलो चावल खा कर और दारू पी कर बहुत से ग्रामीण टुन्न नजर आते हैं। छत्तीसगढ़ की यही स्थिति बनती जडा रही थी। इसे लेकर यहाँ की महिलाओं में गुस्सा था। वे लगातार प्रदर्शन भी करती रही। इन सब का असर अब जाकर हुआ है। पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साफ-साफ कहा कि भले ही हमें राजस्व का नुसकान उठाना पड़े, लेकिन हम शराबबंदी कर के रहेंगे। हालांकि यह काम एकदम से नहीं होगा। धीरे-धीरे होगा, मगर होगा जरूर । वैसे पिछले दिनों सरकार ने निर्णय लेकर 239 शराब दुकानों को तो बंद ही कर दिया है। यह भी निर्णय किया है कि दो हजार से कम आबादी वाले गाँवों में शराब दुकानें नहीं खुलेंगी। सरकार धीरे-धीरे ही सही, अब छत्तीसगढ़ को शराबबंदी की दिशा में ले जा रही है। अगर ऐसा  हो गया तो कोई बड़ी बात नहीं कि देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ का एक और खूबसूरत चेहरा सामने आएगा।  शराबबंदी हो जाए तो छत्तीसगढ़ प्रगति के पथ पर और तेजी केसाथ बढ़ेगा, इसमें दो राय नहीं।
पूर्व मुख्यमंत्री जोगी के बेटे की  पिटाई छत्तीसगढ़ हो या अन्य दूसरे कोई प्रांत,हर जगह राजनीति में माफियाओं को बोलबाला है। गुंडे बढ़ रहे हैं। वे लोकतंत्र में जीते हैं तो हैं मगर उन्हें बाहुबल पर ज्यादा यकीन रहता है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के पूर्वमुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित को मध्यप्रदेश में कुछ गुंडों ने बुरी तरह पीट दिया। वहाँ भाजपा की  सरकार है. अमित प्रदेश हो रहे एक उपचुनाव में प्रचार करने गए थे। दमोह जिले की जबेरा सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जहाँ से उनकी ममेरी बहन डा. तान्या चुनाव लड़ रही है। स्वाभाविक था कि अमित बहन के प्रचार के लिए जाते, लेकिन अब राजनीति में सहिष्णुता कम होती जा रही है। हिंसक लोग बढ़ रहे हैं। ये लोग डंडे के सहारे प्रचार करने पर यकीन रखते हैं। हिंसा के कारण अमित की आँखें में गंभीर चोट पहुँची। हाथ भी जख्मी हुआ है। कहते हैं, कि गुंडे लोग स्व. अर्जुन सिंह के बेट अजय सिंह पर हमले की तैयारी में थे। अमित अजय सिंह की कार में सवार थे, इसलिए गलतफहमी में पिट गए। लेकिन इस चक्कर में कुछ भी हो सकता था।
एक राज्य जहाँ पर्चे लीक हो जाते हैं...?
छत्तीसगढ़ शैक्षणिक नक्शे में अभी अपनी जगह नहीं बना सका है। और लगता है शिक्षा माफिया ऐसा होने भी नहीं देगा। पिछले दिनों पीएमटी के पेपर दूसरी लीक होने का मामला सामने आया। पाँच से ले कर बारह लाख रुपयों में ये पर्चे बिके थे। बिलासपुर के पास तखतपुर नामक कस्बे के धर्मशाला में फर्जीवाड़ा चल रहा था. वहाँ छापा मारा गया तो अनेक छात्र-छात्राएँ मिले। इस मामले में कुछ आरोपियों को पकड़ लिया गया है। यह बड़ी सफलता है मगर इन सब कारणों से दूसरे प्रतिभाशाली छात्र प्रभावित होते हैं। पिछले दिनों उस छात्र को पकड़ा गया, जिसने पिछले साल पीएमटी की परीक्षा में टॉप किया था। उसने फर्जी तरीके से परीक्षा दी थी। यानी मुन्नाभाई वाली फिल्म की शूटिंग छत्तीसगढ़ में लगातार चल रही है। व्यावसायिक परीक्षा मंडल की विफलता इस बात का सबूत है कि दाल में काला तो है। विभागीय लोग भी रैकेट में शामिल रहते हैं। प्रश्न यही है कि आखिर वह दिन कब आएगा, जब परीक्षा जैसे मामले में ईमानदारी के साथ काम होगा? फर्जीवाड़ा करके पीएमटी पास करने वाले लड़के कल मेडिकल की पढ़ाई भी फर्जी तरीके से ही करेंगे, और चकमा दे कर निकलते रहेंगे, तो प्रदेश के स्वास्थ्य का क्या अंजाम होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। इसके पहले पीएससी की परीक्षाएँ भी निरंतर खटाई में पड़ती रही है। स्कूलों में पैसे ले कर लोगों को टॉप करने के मामले सामने आ चुके हैं। 
हो गया 'व्हाइट हाउस' का लोकार्पण
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम कार्यालय अब अपने नये भवन में लगेगा। 25 जून को महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल जी ने इसको लोकार्पित किया। वास्तु के लिहाज  से यह भवन नयनाभिराम है। अपनी झक्क सफेदी के कारण लोग इसे 'व्हाइट हाउस' कहने लगे हैं। हालांकि यह शब्द चुभता है मगर अब अँगरेजी बहुत से लोगों की आत्मा का हिस्सा भी बनती जा रही है इसलिए किसी को अटपटा भी नहीं लगता। इसमें अनके तरह की आधुनिक सुविधाएँ भी हैं। वक्त-वक्त की बात है। भाजपा के महापौर सुनील सोनी के समय सेयह भवन बनना शुरू हुआ था, लेकिन जब उनके बैठने का समय आया तो चुनाव हो गया और भाजपा हार गई। निगम पर कांग्रेस का क ब्जा हो गया। महापौर डॉ. किरणमयी नायक को यह सौभाग्य मिला कि वे महापौर के रूप में इस नये भवन में विराजमान हो। राष्ट्रपति के हाथों भवन का शुभारंभ हुआ, यह और गौरव की बात रही। उद्गाटन समारोह में राष्ट्रपति ने बड़ी अच्छी बात कही कि हमें गरीबों को झुग्गीवासियों का हित भी ध्यान में रखना चाहिए। यह बात नगरनिगम के महापौर और पार्षदों को गाँठ  बाँध लेनी चाहिए। लोग यही कह रहे हैं कि जब आदमी महलजीवी हो जाता है तो गरीब उसे चुभने लगते हैं। रायपुर नगर निगम इसका अपवाद बने तो बेहतर होगा।

2 Comments:

निर्मला कपिला said...

हर राज्य मे यही हाल है।चिन्ताजनक स्थिती।

सुनील गज्जाणी said...

हालत हर जगह है कुछ इस तरह हर कही
बस कही मौजू तो कही मुद्दे है बदले बदले से !

सुनिए गिरीश पंकज को