मंगलवार, 6 मई 2025
जय हिन्द
जयहिंद की सेना....पहलगाम का बदला लेने वाली वीर भारतीय सेना को समर्पित मेरा एक नया गीत :-
उठी-उठी भारत की सेना,
अरिदल का संहार कर रही
उसने एक प्रहार किया यह,
दस दस बार प्रहार कर रही.
शांतिप्रिय यह राष्ट्र हमारा,
कभी न हमला करता है.
समझा था कमजोर इसे क्या,
यह दुनिया से डरता है?
छेड़ोगे तो क्यों छोड़ेगी,
सेना बढ़कर वार कर रही.
पुलवामा या पहलगाम में,
तुमने खून बहाया था.
खून बहा कर खूब हँसे थे,
कितना जश्न मनाया था.
ली 'सिंदूर' की कसम, चुनौती-
सेना अब स्वीकार कर रही.
अब यह नया-नया भारत है,
घर में घुसकर मारेगा.
जो इससे टकराएगा वह,
हारेगा बस हारेगा.
सेना कभी न ना बोलेगी,
दुश्मन का 'उद्धार' कर रही.
@ गिरीश पंकज
प्रस्तुतकर्ता girish pankaj पर 9:05 pm
लेबल: पहलगाम हमला, सेना
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